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गुजरात में फर्जी अदालत का भंडाफोड़, 'जज' बनकर आदेश पारित करने वाला ठग गिरफ्तार

Public Lokpal
October 22, 2024

गुजरात में फर्जी अदालत का भंडाफोड़, 'जज' बनकर आदेश पारित करने वाला ठग गिरफ्तार


अहमदाबाद: पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसने कथित तौर पर एक फर्जी न्यायाधिकरण स्थापित किया, खुद को उसका जज बताया और गुजरात के गांधीनगर में अपने कार्यालय में असली अदालत का माहौल बनाते हुए आदेश पारित किए।

आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन ने 2019 में एक सरकारी जमीन से संबंधित मामले में अपने मुवक्किल के पक्ष में आदेश पारित किया। उन्होंने बताया कि यह फर्जी अदालत कम से कम पिछले पांच वर्षों से काम कर रही थी।

प्रारंभिक जांच से पता चला है कि क्रिश्चियन उन लोगों को फंसाता था, जिनके भूमि विवाद के मामले शहर की सिविल अदालत में लंबित थे।

पुलिस ने सोमवार को बताया कि वह अपने मुवक्किलों से उनके मामले को सुलझाने के लिए फीस के तौर पर एक निश्चित राशि लेता था।

पुलिस के अनुसार, क्रिश्चियन पहले खुद को अदालत द्वारा नियुक्त आधिकारिक मध्यस्थ के रूप में स्थापित करता था, अपने मुवक्किलों को गांधीनगर स्थित अपने उस कार्यालय में बुलाता था, जिसे अदालत की तरह बनाया गया था। यहां वह न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में उनके पक्ष में आदेश पारित करता था।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि उसके साथी अदालत के कर्मचारी या वकील बनकर यह धारणा बनाते थे कि कार्यवाही वास्तविक है।

अहमदाबाद शहर की पुलिस ने क्रिश्चियन को मध्यस्थ न्यायाधिकरण के न्यायाधीश के रूप में खुद को पेश करके और कानूनी विवादों का निपटारा करने के लिए सक्षम अदालत द्वारा मध्यस्थ नियुक्त किए जाने का दावा करके लोगों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

शहर के सिविल कोर्ट रजिस्ट्रार द्वारा यहां करंज पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद ठग के खिलाफ कार्रवाई की गई और उसकी फर्जी अदालत का भंडाफोड़ हुआ।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि क्रिश्चियन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 170 (लोक सेवक के रूप में किसी पद पर होने का दिखावा करना) और 419 (व्यक्ति के रूप में धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

2019 में, क्रिश्चियन ने इसी कार्यप्रणाली का उपयोग करके अपने मुवक्किल के पक्ष में एक आदेश पारित किया था।

इसमें कहा गया है कि मामला जिला कलेक्टर के अधीन एक सरकारी भूमि से संबंधित था, जबकि उनके मुवक्किल ने इस पर दावा किया था और पालडी क्षेत्र में स्थित भूखंड से संबंधित राजस्व अभिलेखों में अपना नाम दर्ज कराना चाहते थे।

मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के तहत किसी भी अदालत द्वारा जारी किए गए प्राधिकरण या आदेश के बिना, क्रिश्चियन ने अपने मुवक्किल से कहा कि उसे सरकार द्वारा "आधिकारिक मध्यस्थ" नियुक्त किया गया है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि ठग ने फिर अपनी 'अदालत' में फर्जी कार्यवाही शुरू की और अपने मुवक्किल के पक्ष में एक आदेश पारित किया, जिसमें कलेक्टर को अपने मुवक्किल का नाम उस भूमि के राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने का निर्देश दिया गया।

आदेश को लागू करने के लिए, क्रिश्चियन ने एक अन्य वकील के माध्यम से शहर की सिविल अदालत में अपील दायर की और अपने द्वारा पारित धोखाधड़ी वाले आदेश को संलग्न किया।

अदालत के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को हाल ही में पता चला कि क्रिश्चियन न तो मध्यस्थ है और न ही न्यायाधिकरण का आदेश वास्तविक है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि उनकी शिकायत के बाद करंज पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की और ठग को गिरफ्तार कर लिया, जिसके खिलाफ 2015 में शहर के मणिनगर पुलिस थाने में धोखाधड़ी का मामला पहले से ही दर्ज है।

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