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वक्फ अधिनियम, 1995 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और राज्यों को सुप्रीम कोर्ट की नोटिस

Public Lokpal
May 27, 2025

वक्फ अधिनियम, 1995 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और राज्यों को सुप्रीम कोर्ट की नोटिस


नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वक्फ अधिनियम, 1995 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने दिल्ली निवासी निखिल उपाध्याय की याचिका पर नोटिस जारी किया और इसे अधिवक्ता हरि शंकर जैन और एक अन्य व्यक्ति की इसी तरह की याचिका के साथ संलग्न किया।

वक्फ अधिनियम में हाल ही में किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति मसीह की पीठ ने पहले पूछा था कि इतने सालों बाद अब 1995 के अधिनियम को चुनौती क्यों दी जा रही है।

जबकि याचिकाकर्ता हरि शंकर जैन की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने यह समझाने की कोशिश की कि याचिकाकर्ताओं ने 1995 के अधिनियम को बहुत पहले ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। उन्हें उच्च न्यायालयों में जाने के लिए कहा गया था, लेकिन पीठ इससे सहमत नहीं थी।

मंगलवार को भी पीठ ने अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से पूछा कि उसे 1995 के अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब क्यों विचार करना चाहिए। 

अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना, और जस्टिस संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की पीठ - जिसने पूर्व सीजेआई खन्ना की सेवानिवृत्ति के बाद सीजेआई गवई की अगुवाई वाली पीठ के कार्यभार संभालने से पहले वक्फ (संशोधन) 2025 मामलों की सुनवाई की थी।उच्चतम न्यायालय  ने पहले ही 1995 के अधिनियम को चुनौती देने वाले मामले को अलग से सुनने के लिए सहमत हो गई थी। 2025 के संशोधनों को चुनौती देने वालों को इस पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दी थी। उपाध्याय ने सीजेआई खन्ना की अगुवाई वाली पीठ के 17 अप्रैल, 2025 के आदेश का भी हवाला दिया। आदेश में कहा गया था, "1995 के वक्फ अधिनियम और 2013 में इसमें किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाएं, जिनमें डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या 353/2025 "हरि शंकर जैन और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य" शामिल हैं तथा डब्ल्यू.पी. (सी) डायरी संख्या 19103/2025 जिसका शीर्षक "पारुल खेड़ा बनाम भारत संघ और अन्य" है, को अलग से वाद सूची में दर्शाया जाएगा।

17 अप्रैल के आदेश में कहा गया, "विशेष मामले के रूप में, याचिकाकर्ताओं को, जिन्होंने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली रिट याचिकाएं दायर की हैं, उक्त रिट याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने की स्वतंत्रता दी जाती है।"

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने मंगलवार को कहा कि अदालत ने 2025 के संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ 1995 के अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की अनुमति नहीं दी है। 

हालांकि, भाटी ने कहा कि अगर उपाध्याय की याचिका को जैन द्वारा 1995 के अधिनियम को चुनौती देने वाली दूसरी याचिका के साथ जोड़ दिया जाता है, तो कोई आपत्ति नहीं है।

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