'ट्रंप ने कहा सरेंडर, मोदी ने कहा यस सर': राहुल ने भारत-पाक गतिरोध से निपटने को लेकर पीएम पर निशाना साधा

Public Lokpal
June 03, 2025

'ट्रंप ने कहा सरेंडर, मोदी ने कहा यस सर': राहुल ने भारत-पाक गतिरोध से निपटने को लेकर पीएम पर निशाना साधा
भोपाल: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत के बाद 'सरेंडर' करने का आरोप लगाया। यह बात वाशिंगटन द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता कराने के दावे के बीच कही गई है।
भोपाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, "ट्रंप का एक फोन आया और नरेंद्र जी तुरंत surrender हो गए - इतिहास गवाह है, यही BJP-RSS का character है, ये हमेशा झुकते हैं। भारत ने 1971 में अमेरिका की धमकी के बावजूद पाकिस्तान को तोड़ा था। कांग्रेस के बब्बर शेर और शेरनियां Superpowers से लड़ते हैं, कभी झुकते नहीं।"
राहुल ने कहा कि भारत ने 1971 में अमेरिका की धमकी के बावजूद पाकिस्तान को तोड़ दिया।
पिछले कांग्रेस नेतृत्व के साथ तुलना करते हुए उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के कार्यों का हवाला देते हुए कहा, "1971 में एक समय था, जब अमेरिका का सातवां बेड़ा आया था, लेकिन इंदिरा गांधी जी ने कहा था, 'मुझे जो करना है, मैं करूंगी'।"
उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी आत्मसमर्पण नहीं करती। गांधीजी, नेहरूजी, सरदार पटेलजी - ये आत्मसमर्पण करने वाले लोग नहीं हैं, बल्कि ये महाशक्तियों के खिलाफ लड़ने वाले लोग हैं।"
भाजपा पर अपने हमले को दोहराते हुए राहुल ने कहा, "मैं भाजपा-आरएसएस के लोगों को जानता हूं। अगर आप उन पर थोड़ा भी दबाव डालें और उन्हें हल्का धक्का दें, तो वे डर के मारे भाग जाते हैं।"
उन्होंने दावा किया, "डोनाल्ड ट्रंप ने वहां से फोन किया और कहा 'नरेंद्र... सरेंडर'। यहां नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के इशारे पर 'यस सर' कहा।"
गौरतलब है कि ट्रंप लगातार दावा करते रहे हैं कि अमेरिकी हस्तक्षेप ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु संघर्ष को टालने में मदद की, जब दोनों देश कई झड़पों के बाद युद्ध विराम पर सहमत हुए।
भारत ने लगातार इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि न तो अमेरिका और न ही उसके टैरिफ की धमकी ने पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम वार्ता में कोई भूमिका निभाई।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी हाल ही में हुई झड़पों के दौरान स्पष्ट किया था कि भारत और पाकिस्तान परमाणु संघर्ष से "बहुत, बहुत दूर" हैं। जर्मन अखबार FAZ को दिए एक साक्षात्कार में जयशंकर ने स्पष्ट रूप से पश्चिम की आलोचना करते हुए कहा कि "दुनिया के हमारे हिस्से" में हर चीज को "परमाणु समस्या" से जोड़ने की प्रवृत्ति रही है।