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चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाली कंपनियों पर 29 सितंबर से प्रतिबंध लागू: अमेरिका

Public Lokpal
September 19, 2025

चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाली कंपनियों पर 29 सितंबर से प्रतिबंध लागू: अमेरिका


न्यूयॉर्क/नई दिल्ली : ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि ईरानी बंदरगाह चाबहार का संचालन करने वाली कंपनियों पर इस महीने के अंत से प्रतिबंध लागू होंगे। इस फैसले का भारत पर भी असर पड़ेगा क्योंकि वह इस रणनीतिक बंदरगाह पर एक टर्मिनल विकसित कर रहा है।

इस ऊर्जा संपन्न देश के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित, चाबहार बंदरगाह का विकास भारत और ईरान द्वारा कनेक्टिविटी और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।

विदेश विभाग के प्रमुख उप प्रवक्ता थॉमस पिगॉट ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक बयान में कहा कि 2018 के प्रतिबंधों में छूट को रद्द करने का कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ईरानी शासन को अलग-थलग करने की अधिकतम दबाव नीति के अनुरूप है।

पिगॉट ने कहा, "विदेश मंत्री ने अफ़ग़ानिस्तान पुनर्निर्माण सहायता और आर्थिक विकास के लिए ईरान स्वतंत्रता एवं प्रसार-रोधी अधिनियम (Iran Freedom and Counter-Proliferation Act –IFCA) के तहत 2018 में जारी प्रतिबंध अपवाद को रद्द कर दिया है। यह फैसला 29 सितंबर, 2025 से प्रभावी होगा। इस प्रतिबंध के प्रभावी होने के बाद, चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाले या IFCA में वर्णित अन्य गतिविधियों में संलग्न व्यक्ति IFCA के तहत प्रतिबंधों के अधीन हो सकते हैं।"

इस निर्णय से भारत प्रभावित होगा, क्योंकि वह ओमान की खाड़ी में स्थित चाबहार बंदरगाह पर एक टर्मिनल विकसित करने में भागीदार है। 13 मई, 2024 को, भारत ने बंदरगाह के संचालन के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, जिससे उसे मध्य एशिया के साथ व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

यह पहली बार था जब भारत किसी विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा। नई दिल्ली ने 2003 में ही चाबहार बंदरगाह के विकास का प्रस्ताव रखा था ताकि भारतीय माल को पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) नामक एक सड़क और रेल परियोजना के माध्यम से स्थलबद्ध अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुँचने का एक प्रवेश द्वार प्रदान किया जा सके।

आईएनएसटीसी भारत, ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, आर्मेनिया, अज़रबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी एक मल्टी-मोड परिवहन परियोजना है।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों ने बंदरगाह के विकास को धीमा कर दिया था।

इस दीर्घकालिक समझौते पर इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के बंदरगाह एवं समुद्री संगठन ने हस्ताक्षर किए थे। यह 2016 के शुरुआती समझौते का स्थान लेता है, जिसमें चाबहार बंदरगाह के शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल पर भारत के संचालन को शामिल किया गया था और जिसका वार्षिक आधार पर नवीनीकरण किया जाता रहा है।

2023 में, भारत ने चाबहार बंदरगाह का उपयोग अफ़ग़ानिस्तान को 20,000 टन गेहूँ की सहायता भेजने के लिए किया था। 2021 में, इसी बंदरगाह का उपयोग ईरान को पर्यावरण के अनुकूल कीटनाशकों की आपूर्ति के लिए किया गया था।

अमेरिका ने 2018 में चाबहार बंदरगाह परियोजना को प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया था, और कहा था कि "सेक्नेरेटरी ने चाबहार बंदरगाह के विकास और उससे जुड़ी रेलवे लाइन के निर्माण, अफ़ग़ानिस्तान के उपयोग के लिए बंदरगाह के माध्यम से गैर-प्रतिबंधित वस्तुओं के परिवहन और अफ़ग़ानिस्तान द्वारा ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों के निरंतर आयात के संबंध में ईरान स्वतंत्रता एवं प्रसार-रोधी अधिनियम, 2012 (IFCA) के तहत लगाए गए कुछ प्रतिबंधों से छूट प्रदान की है।"

हालाँकि, नए दिशानिर्देशों के साथ, ये छूटें हटा दी जाएँगी।

अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार को तालिबान ने हटा दिया था, जिसने 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया था।

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