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बिहार ने जाति जनगणना रिपोर्ट जारी की: ईबीसी आबादी का 36 और ओबीसी 27.13 फीसद हैं

Public Lokpal
October 02, 2023

बिहार ने जाति जनगणना रिपोर्ट जारी की: ईबीसी आबादी का 36 और ओबीसी 27.13 फीसद हैं


पटना: बिहार सरकार ने सोमवार को अपने जाति सर्वेक्षण के निष्कर्ष जारी किए, जो बताते हैं कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) मिलकर राज्य की कुल आबादी का लगभग 63 प्रतिशत हिस्सा हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है। आंकड़ों से पता चलता है कि कुल आबादी में 36 फीसदी के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है, इसके बाद 27.13 फीसदी के साथ ओबीसी हैं।

सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि यादवों की कुल आबादी में सबसे बड़ी हिस्सेदारी 14.27 प्रतिशत है।

बिहार राज्य की जातीय जनगणना- 2023

पिछड़ा वर्ग - 63%

यादव - 14.26%

कुशवाहा - 4.2%

पटेल - 2.87%

शाहू - 2.81%

निषाद - 2.80%

दलित - 22%

चमार-5.2%

मुशहर - 3%

सामान्य वर्ग - 15%

ब्राह्मण - 3.66%

ठाकुर - 3.45%

भूमिहार - 2.86%

वैश्य - 2.31%

सोनार - 0.68%

कायस्थ - 0.60%

मुसलमान - 17.7%

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति जनगणना रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिहार विधानसभा के सभी नौ दलों ने निर्णय लिया कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित जनगणना कराएगी। उन्होंने आगे कहा कि जनगणना से न सिर्फ जातियों का पता चलता है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी मिलती है।

एक्स पर बिहार के मुख्यमंत्री ने लिखा, “आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई !

जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी।                                                                                                              

बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।”

उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार एक "ऐतिहासिक क्षण" देख रहा है, और राज्य सरकार "इन आंकड़ों के आलोक में वंचित वर्गों के समग्र विकास और भागीदारी को शीघ्र सुनिश्चित करेगी"।

उन्होने एक्स पर लिखा “कम समय में जाति आधारित सर्वे के आँकड़े एकत्रित एवं उन्हें प्रकाशित कर बिहार आज फिर एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना। दशकों के संघर्ष ने एक मील का पत्थर हासिल किया। इस सर्वेक्षण ने ना सिर्फ वर्षों से लंबित जातिगत आंकड़े प्रदान किये हैं बल्कि उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति का भी ठोस संदर्भ दिया है। अब सरकार त्वरित गति से वंचित वर्गों के समग्र विकास एवं हिस्सेदारी को इन आंकड़ों के आलोक में सुनिश्चित करेगी”।

जनवरी में, बिहार सरकार ने "राज्य के सभी वर्गों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने" के उद्देश्य से जाति पर डेटा एकत्र करने और प्रकाशित करने के लिए घरों का सर्वेक्षण करना शुरू किया।

15 अप्रैल को सर्वेक्षण का दूसरा चरण शुरू हुआ, जिसमें लोगों की जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से संबंधित डेटा इकट्ठा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

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