विश्व हथकरघा दिवस 2023 विशेष
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August 07, 2023
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विश्व हथकरघा दिवस 2023 विशेष
हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाया जाने वाले इस दिवस को मनाने का प्राथमिक लक्ष्य हथकरघा को बढ़ावा देना और इस क्षेत्र में लगे बुनकर समुदाय के प्रयासों के साथ-साथ कौशल को पहचानना है।
हथकरघा क्षेत्र के श्रमिकों, बुनकरों और निर्माताओं का समुदाय देश की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत को संरक्षित कर रहा है। यह दिन बेहतर पहचान और वित्तीय स्थिरता के लिए कारीगरों और बुनकरों को बढ़ावा देने और देश की अर्थव्यवस्था में शामिल करने को भी सुनिश्चित करता है।
इस दिन की महत्ता को जानना इसलिए भी जरुरी है क्योंकि हथकरघा उद्योग से जुड़े लोग न केवल हमारे देश की समृद्धि को संरक्षित करते हैं बल्कि हथकरघा उन लोगों के कौशल को भी बढ़ावा देता है जो इससे जुड़े हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि हथकरघा क्षेत्र हमारे देश में कृषि क्षेत्र के बाद अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभों में से एक है। महिलाओं का एक बड़ा वर्ग इस उद्योग में बुनकरों और अन्य कलात्मक हाथों के रूप में अपनी सेवा का योगदान देता है जो रोजगार के लिए भी सबसे बड़ा प्रतीक बन रहा है। एक उद्योग के रूप में ये कारीगर और शिल्पकारों की आय का प्रवाह भी सुनिश्चित करता है।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पहली बार 2015 में मनाया गया था जिसका उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस दिन की शुरुआत हथकरघा क्षेत्र के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से की गई थी।
1905 में इसी दिन कलकत्ता (अब कोलकाता) में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की याद में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने के लिए 7 अगस्त को चुना गया था। तब इस आंदोलन का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय ने किया था।
स्वदेशी आंदोलन भारत निर्मित वस्तुओं के उपयोग में सुधार लाने के लिए शुरू किया गया था जिसमें प्रमुख रूप से हथकरघा शामिल था। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन के दौरान देश की आजादी में भी प्रमुख भूमिका निभाई।