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हिन्दी पत्रकारिता के स्तंभ पुरुष पंडित हरिशंकर द्विवेदी की जन्मशती

Public Lokpal
September 17, 2023

हिन्दी पत्रकारिता के स्तंभ पुरुष पंडित हरिशंकर द्विवेदी की जन्मशती


पंडित हरिशंकर द्विवेदी की आज जन्मशती है । एक मूर्धन्य पत्रकार , हिन्दीविद् , अंग्रेज़ी के जानकार एवं लेखक जिन्होंने अपने समय में अनेकों अख़बारों को जन्म ही नहीं दिया बल्कि कई अख़बार उनके संपादकीय की वजह से चल निकले । पण्डितजी का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में १७ सितंबर, १९२३ को हुआ था । 

सन्मार्ग हिन्दी दैनिक के संस्थापक, संपादक, नवभारत टाइम्स, कलकत्ता के प्रबंध संपादक, दैनिक विश्वामित्र के विभिन्न संस्करणों के मुख्य संपादक के तौर पर उन्होंने इन अख़बारों को अस्तित्व ही नहीं दिया बल्कि हिन्दी पत्रकारिता के शिखर पर स्थापित भी किया। यह उनकी पत्रकारिता का दम ही था कि उन्होंने बंबई प्रांत के मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई को उनके ऊपर बायोग्राफी लिखने के अनुरोध को नकार दिया ।

इतना ही नहीं क्या प्रधानमंत्री, क्या मुख्यमंत्री, क्या विपक्ष! सभी पत्रकारिता का सम्मान करते हुए उनसे मिलने आते थे। पण्डितजी चाटुकारिता का लांक्षण पत्रकारिता के ऊपर ना लगे , इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहते थे जिस कारण अपने साथ काम करने वालों को यह कठोर हिदायत होती थी कि कोई भी सत्ता के हनक से प्रभावित होकर सत्ता वंदना में ना लिप्त हो और उसका असर अख़बार में लिखे जाने वाले समाचारों पर ना पड़े। आज के समय में जिस पत्रकारिता की विश्वसनीयता के ऊपर बड़ा प्रश्न चिह्न लगा हुआ है, पण्डितजी जैसे रत्नों का आज होना इस विषम परिस्थिति में अवश्य ही कोई रास्ता निकाल देता। ये वह पत्रकार थे , जिन्होंने १९७७ की इमरजेंसी के समय भी सरकार और विपक्ष की चुनौतियों को अपनी लेखनी से बखूबी जनता के सामने रखा । 

उनके सारे आलेख उनके इस व्यक्तित्व को परिलक्षित करते हैं। जीवन के अंतिम पड़ाव में बिहार से निकलने वाले उस समय के सर्वाधिक लोकप्रिय हिन्दी दैनिक “आर्यावर्त” और अंग्रेज़ी दैनिक “द इंडिया नेशन “के प्रबंध निदेशक , प्रबंध संपादक, पब्लिशर , प्रिंटर के तौर पर सेवा देने वाले वह देश के एकमात्र पत्रकार हैं। हिन्दी और अंग्रेज़ी पर समान अधिकार रखने के बावजूद भी हिन्दी का ही झंडा हमेशा बुलंद करने का काम पण्डितजी ने किया ।

उनको शत् शत् नमन!

(हर्षवर्धन द्विवेदी द्वारा पंडितजी के जन्मशती पर विशेष )

publiclokpal.com उन्हीं के प्रेरणा से तटस्थ पत्रकारिता का संवर्धन करता है । इस अवसर पर हमारी यही श्रद्धांजलि है कि हम उनके आदर्शों को लेकर आगे बढ़ते रहें, ताकि भारत जैसे प्रजातंत्र में चौथा स्तंभ कही जाने वाली मीडिया कभी कमजोर न हो पाये, न तो सत्ता को रास्ता दिखाने से पीछे हटे और न ही विपक्ष के हाथों की कठपुतली बनकर सही को ग़लत या ग़लत को सही साबित करने में व्यर्थ समय बर्बाद करे। पंडितजी के आदर्शों से परिपूर्ण उनका एक आलेख ( जो मूलतः सन्मार्ग में प्रकाशित हुआ था) आज पब्लिकलोकपाल.कॉम प्रकाशित कर रहा है जिसे पढ़कर पाठक उनकी पत्रकारिता और निम्न स्तर पर की जानेवाली पत्रकारिता में भेद कर सकेंगे ।


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