BIG NEWS
- मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित होंगे मनु भाकर, डी गुकेश सहित चार एथलीट
- विभिन्न शहरों में कार्यक्रमों के साथ भारत ने मनाया 2025 के आगमन का जश्न
- अब भारत में सभी उपयोगकर्ताओं को मिलेगी WhatsApp Pay यूपीआई सेवाएँ, NPCI ने हटाया प्रतिबंध
- गंगा संरक्षण से लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन तक: 2024 में NGT के प्रमुख निर्णय
- भाजपा को 2023-24 में 2,600 करोड़ रुपये से अधिक जबकि कांग्रेस को 281 करोड़ रुपये मिला दान: चुनाव आयोग की रिपोर्ट
- केंद्र ने कक्षा 5 और 8 के लिए ‘नो-डिटेंशन’ नीति को खत्म किया, दिया सुधारात्मक उपायों पर जोर
- सोरेन की ‘मईयां सम्मान योजना’ के तहत 55 लाख महिलाओं को वित्तीय सहायता का इंतजार
- महाकुंभ में 360 डिग्री व्यू वाला पहला 'डोम सिटी', गरीबों की पहुंच से बाहर
आज पूरे सत्तर वर्ष का हुआ हमारा हिन्दी दिवस
Public Lokpal
September 14, 2023
आज पूरे सत्तर वर्ष का हुआ हमारा हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस पर विशेष
14 सितम्बर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिन्दी को संघ की राजभाषा और देवनागरी को इस भाषा की लिपि होना का अनुमोदन पारित किया। कहा गया कि संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तरराष्ट्रीय रूप होगा। 14 सितम्बर 1949 के दिन हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह का 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया।
हालाँकि संविधान के अनुसार हिन्दी को राजभाषा का दर्जा तो मिल गया था, लेकिन हिन्दी के गणमान्य लेखकों और कवियों ने हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए इसके लिए एक विशेष दिवस घोषित करने की पूरी जद्दोजहद की।
काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारी प्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, सेठ गोविंद दास जैसे हिन्दी साहित्यकारों के साथ मिलकर राजेंद्र सिंह ने स्वतंत्रता पाने के बाद हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए कठिन प्रयास और संघर्ष किए हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन साहित्यकारों ने दक्षिण भारत की यात्रा की और लोगों को हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए मनाया।
कौन थे व्यौहार राजेंद्र सिंह?
राजेंद्र सिंह अखिल भारतीय चरखा संघ, नागरी प्रचारिणी सभा, हरिजन सेवक संघ, नागरिक सहकारी बैंक, भूदान यज्ञ मंडल, हिंदी साहित्य सम्मेलन, सर्वोदया न्यास, कायस्थ महासभा, चित्रगुप्त सभा जैसे अनेक ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था।
पहला हिन्दी दिवस वर्ष 1953 में मनाया गया, स्पष्ट है कि 2023 में हिन्दी देश की राजभाषा के रूप में पूरे 70 वर्ष की हो गई है।