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देहरादून जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई; अनियमितताओं से भरे सुभारती कॉलेज से 87.50 करोड़ का वसूली वारंट जारी

Public Lokpal
December 14, 2025

देहरादून जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई; अनियमितताओं से भरे सुभारती कॉलेज से 87.50 करोड़ का वसूली वारंट जारी


देहरादून : जिले के बड़े बकायेदारों के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत जिला प्रशासन ने सुभारती समूह पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देशों के अनुपालन में लंबित बकाया वसूली के तहत रू 87.50 करोड़ की कुर्की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।

जिलाधिकारी ने सुभारती समूह से बकाया राजस्व वसूली सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी द्वारा जारी कुर्की वारंट से स्पष्ट किया गया है कि बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद भुगतान न होने पर यह कठोर कदम उठाया गया है।

संस्थान को 6 वर्षों से 300 छात्रों से पूर्ण शुल्क वसूलने के बावजूद संरचना विहीन संस्थान में रखना भारी पड़ गया है, जिला प्रशासन ने वसूली वारंट जारी कर दिया है, अगले कुछ ही दिवसों में संस्थान का बैंक खाता सीज संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जा सकती है।चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने संस्थान से पूर्ण वसूली के जाने के सिफारिश जिलाधिकारी को की थी।

शैक्षिणक सत्र 2017-18 में प्रवेश पाये द्वितीय बैच के कुल 74 छात्रों ने उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका डाली थी। याचिका में छात्रों की ओर से कहा गया था कि संस्थान में संरचना उपलब्ध नहीं है, इसलिए वे यहां से लगातार शिक्षा प्राप्त नही कर सकते है।

याचिका में यह प्रश्न था कि क्या छात्रों को अन्य संस्थान में प्रवेश देकर अन्तरित किया जायें।  वर्ष 2019 में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्देश दिया गया था कि 300 छात्राओं को राज्य के तीन राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अन्तरित किया जाये।  साथ ही न्यायालय ने यह भी आदेश दिया गया था कि यह छात्र केवल राजकीय मेडिकल कॉलेज में लागू फीस का ही भुगतान करें। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश को  12 अप्रैल 2019 के आदेश में पुनः पुष्ट किया गया था।

श्रीदेव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज में इन सभी 300 छात्राओं को राजकीय मेडिकल कॉलेजों में समयोजित किये जाने हेतु लगभग एक नये मेडिकल कॉलेज को खोलने के अनुरूप अपेक्षित संरचना स्थापित करने की आवश्यकता थी, जिसमें राज्य सरकार पर अनापेक्षित वित्तीय भार आ गया था, जबकि उक्त संस्था द्वारा इन छात्रों से शुल्क बिना वजह वसूला गया था।

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