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क्या उप्र सरकार राजधानी के सौंदर्यीकरण और देश की महान हस्तियों के नाम पर बने स्मारकों के प्रति उदासीन हैं?

Public Lokpal
October 02, 2021

क्या उप्र सरकार राजधानी के सौंदर्यीकरण और देश की महान हस्तियों के नाम पर बने स्मारकों के प्रति उदासीन हैं?


इस तस्वीर में गोमतीनगर का द्वार कहे जाने वाले 'डॉ भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल द्वार' पर जगह-जगह उगी घास और पीपल के पौधों अपनी अनदेखी किये जाने की गवाही दे रहे हैं। कभी नवाबों का अवध कहा जाने वाला लखनऊ शहर ने पिछली कुछ सरकारों के दौर में आधुनिकता के नए चरम को छुआ है। गोमतीनगर और पुराने लखनऊ से बाहर के मीलों के क्षेत्रफल में फैला 

नया लखनऊ अपनी चौड़ी और साफ़-सुथरी सड़कों की वजह से लखनऊ को आधुनिक लखनऊ बनाता है। अमृत मिशन 2.0 के तहत लखनऊ भी स्वच्छ और सुन्दर लखनऊ होने की उम्मीद रखता है। नई-पुरानी इमारतों का रखरखाव और उनका सौंदर्यीकरण सभी सरकारों का उत्तरदायित्व है और आम जनता के धन से बने इन इमारतों पर किसी भी नई-पुरानी सरकारों के विचारधारा का असर नहीं पड़ना चाहिए।

लखनऊ में जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर में ओलंपिक साइज का टेनिस कोर्ट, मल्टीपरपज कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, एक हजार लोगों की क्षमता वाला कॉन्फ्रेंस हाल, दो हजार लोगों की क्षमता वाला कनवेंशन सेंटर, गेस्ट हाउस, ओपन एयर रेस्टोरेंट, कैफेटेरिया, जिम, कुल 117 गेस्ट रूम, मदर किचन, टॉप फ्लोर पर पूल और हेलीपैड की सुविधा है। लेकिन शुरू से जाँच के घेरे में फंसे इस सेंटर की सभी सुविधाएँ और संरचनाएं धूल फांक रही है। यह आम जनता के पैसों की खुली बर्बादी है। हालाँकि पुरानी सरकार के समय में बने नए लोकभवन की सुंदरता और खासियत को अटल प्रतिमा की स्थापना को और अधिक बढ़ा दिया है लेकिन फिर वही सवाल कि क्या इस धरोहर की देखभाल और रखरखाव की जिम्मेदारी आगे आने वाली सरकारें निभा सकेगी? 

पब्लिक लोकपाल और उसके पाठकों के तरफ से यह अपील है कि बदलती सरकारों की भिन्न विचारधारा के चलते सभी सरकारी धरोहरों के प्रति उदासीनता का सामना न करना पड़े।

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