post
post
post
post
post
post
post
post
post
post

हिन्दी पत्रकारिता दिवस: जानिए कैसे शुरू हुई थी हिंदी पत्रकारिता और क्या हैं चुनौतियां

Public Lokpal
May 30, 2025

हिन्दी पत्रकारिता दिवस: जानिए कैसे शुरू हुई थी हिंदी पत्रकारिता और क्या हैं चुनौतियां


हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर विशेष 

हिन्दी पत्रकारिता के लिए आज का दिन बेहद खास है। आज ही के दिन 199 साल पहले यानी 30 मई, 1826 को पंडित युगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से प्रथम हिन्दी समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन आरंभ किया था। इससे पहले अंग्रेजी, बंगाली और फारसी भाषा में समाचार पत्र मौजूद थे लेकिन हिन्दी के समाचार पत्रों का अभाव था। 

लोगों तक हिन्दी अख़बार की पहुँच का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन पत्रकारिता जगत के इस एकमात्र हिंदी अख़बार का प्रकाशन पूँजी व पहुँच न होने के कारण उसी वर्ष 4 दिसंबर को बंद करना पड़ा था। 

उसके बाद राजा राममोहन राय, द्वारका प्रसाद ठाकुर व नीलरतन हालदार द्वारा 1829 में दूसरा हिन्दी अख़बार 'बंग दूत' के नाम से प्रकाशित किया गया। यह अख़बार हिन्दी, बांग्ला और फारसी भाषा में छपता था।

 30 मई को देश में हिन्दी भाषा में ‘उदन्त मार्तण्ड’ के नाम से पहला समाचार पत्र वर्ष 1826 को छपा था। इसलिए इस तारीख को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे कलकत्ता (अब कोलकाता) से साप्ताहिक के तौर पर शुरू किया था। इसके प्रकाशक और संपादक भी वे खुद थे। 

हिन्दी भाषी पाठकों की कमी की वजह से उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल सके। दूसरी बात की हिन्दी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण उन्हें समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था। डाक दरें बहुत ज्यादा होने की वजह से इसे हिन्दी भाषी राज्यों में भेजना भी आर्थिक रूप से महंगा सौदा हो गया था। 

पंडित जुगल किशोर ने सरकार से बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें जिससे हिन्दी भाषी प्रदेशों में पाठकों तक समाचार पत्र भेजा जा सके, लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। किसी भी सरकारी विभाग ने ‘उदन्त मार्तण्ड’ की एक भी प्रति खरीदने पर भी रजामंदी नहीं दी। पैसों की तंगी की वजह से ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन बहुत दिनों तक नहीं हो सका और आखिरकार 4 दिसम्बर, 1826 को इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया। 

हालांकि आज का दौर बिलकुल बदल चुका है। हज़ारों-हज़ार हिन्दी अख़बार आज लोगों की सुबह की चाय के साथ पढ़े जाते हैं। समय के साथ हिन्दी पत्रकारिता का स्वरुप बदला है। आज समाचार पत्र, पत्रिका, न्यूज़ चैनल और वेबसाइट के जरिये हिन्दी पत्रकारिता का दायरा दुनिया के हर कोने में पहुँच चुका है। इसी के साथ बढ़ी है हिन्दी जगत के पत्रकारों की जिम्मेदारी भी।

हिन्दी पत्रकारिता का यह दायित्व बनता है कि वह अपने पाठकों का भरोसा बनाये रखे। हिन्दी पत्रकारिता ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखा है। हालिया वक़्त में एक बार फिर से हिन्दी पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। 

किसान, बेरोजगारी, शिक्षा, सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत मुद्दों को अपेक्षा से कम महत्त्व दिया जाना हिन्दी पत्रकारिता के दायित्व को चुनौतियाँ पेश करते हैं। हालात यह है कि बुद्धिजीवी वर्ग जो मुद्दों की तलाश में खबरों की ओर रुख करते हैं उनकी प्राथमिकताओं में हिन्दी के अखबार या इसका किसी भी स्वरुप को जगह नहीं मिलती है।

ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि जनता के बीच हिन्दी पत्रकारिता के सही उद्देश्य को पहुँचाया जाये। उन मुद्दों को जगह मिले जिससे एक अच्छा ख़ासा वर्ग प्रभावित होता है। चाय की चुस्कियों के बीच पढ़े जाने वाले ये अख़बार सुबह-सुबह सरकार की नीतियों, उनके सही कार्यान्वयन, देश-दुनिया की सही जानकारी भी अपने पाठकों को मुहैया कराये।

आज हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर क्यों न हर एक हिन्दी जगत का पत्रकार ये प्रण ले कि वह 'उदन्त मार्तण्ड' और इसके बाद आने वाले हर औचित्यपूर्ण पत्रकारिता के उद्देश्य पर पानी नहीं फिरने देंगे।

NEWS YOU CAN USE

Top Stories

post
post
post
post
post
post
post
post
post
post
post
post

Advertisement

Pandit Harishankar Foundation

Videos you like

Watch More