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राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर विशेष : PCI की भूमिका और वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारतीय प्रेस का स्थान

Public Lokpal
November 16, 2022

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर विशेष : PCI की भूमिका और वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारतीय प्रेस का स्थान


आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस है। स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की याद में हर साल यह दिवस मनाया जाता है। भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) को स्वीकार करने और सम्मान देने के लिए हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। यह दिन देश में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की उपस्थिति का प्रतीक है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया भारतीय प्रेस के रिपोर्ताज की गुणवत्ता की जांच करती है और पत्रकारिता गतिविधियों पर नजर रखती है।

महात्मा गांधी भी अक्सर कहा करते थे, "प्रेस की स्वतंत्रता एक अनमोल विशेषाधिकार है जिसे कोई भी देश नहीं छोड़ सकता।"

स्वतंत्र प्रेस को अक्सर बेजुबानों की आवाज कहा जाता है। इसे सर्वशक्तिशाली शासकों और हासिये पर जीवन जी रहे लोगों के बीच की कड़ी भी माना जाता है। यह व्यवस्था की बुराइयों और अस्वस्थता को सामने लाता है और शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली के मूल्यों को मजबूत करने की प्रक्रिया में सरकार को इनका समाधान खोजने में मदद करता है। कोई आश्चर्य नहीं कि इसे एक मजबूत लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक इसीलिए कहा जाता है क्योंकि एकमात्र यही ऐसा मंच है जहां आम लोग सीधे भाग लेते हैं। जबकि अन्य 3 स्तम्भों कार्यपालिका, विधायी और न्यायपालिका में कुछ चुनिंदा लोगों का ही प्रतिनिधित्व होता है।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस: इतिहास

वर्ष 1956 में, प्रथम प्रेस आयोग ने वैधानिक प्राधिकरण के साथ एक निकाय बनाने का निर्णय लिया, जिसके पास पत्रकारिता की नैतिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी है। आयोग ने महसूस किया कि प्रेस के लोगों से जुड़ने के लिए और उत्पन्न होने वाले किसी भी मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए एक प्रबंध निकाय की आवश्यकता है।

1966 में 16 नवंबर को पीसीआई का गठन किया गया। भारत का राष्ट्रीय प्रेस दिवस तब से हर साल 16 नवंबर को परिषद की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, परिषद की अध्यक्षता परंपरागत रूप से सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और 28 अतिरिक्त सदस्य करते हैं, जिनमें से 20 भारत में संचालित मीडिया आउटलेट्स के सदस्य हैं। पांच सदस्यों को संसद के सदनों से नामित किया जाता है और शेष तीन सांस्कृतिक, कानूनी और साहित्यिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

बात करें प्रेस कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया की महत्ता की, तो इसका निर्माण स्वाभाविक रूप से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी स्वतंत्र प्रेस की रक्षा के लिए किया गया था। इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम करता है कि पत्रकारिता की विश्वसनीयता से समझौता न हो।

वहीं अगर वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत के रैंक की बात करें तो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2022 के मुताबिक भारत की रैंकिंग पिछले साल की 142वीं रैंक से गिरकर 150वें स्थान पर आ गई है हालांकि, 21 जुलाई को सरकार ने संसद को बताया कि वह वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' द्वारा निकाले गए निष्कर्षों से सहमत नहीं है, जो 180 देशों में भारत को 150वें स्थान पर रखता है।

नेपाल को छोड़कर, भारत के पड़ोसियों की रैंकिंग भी इंडेक्स में पूर्व के पायदानों से नीचे आ गई है। नेपाल वैश्विक रैंकिंग में 30 अंक ऊपर चढ़कर 76वें स्थान पर है। जबकि पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें और म्यांमार 176वें स्थान पर है।

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