BIG NEWS
- मध्य प्रदेश में भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची से उमा भारती का नाम गायब
- APY के तहत बिना अनुमति के खोले गए खाते, 32 फीसद हुए खुद बाहर, ICSSR अध्ययन का खुलासा
- 2024-25 से ग्रेड 3 और 6 के लिए सीबीएसई जारी करेगी नया पाठ्यक्रम व किताबें
- लोकसभा चुनाव 2024 शेड्यूल: 7 चरणों का मतदान 19 अप्रैल से शुरू, गिनती 4 जून को होगी
क्या है पितृ पक्ष? जानें सब कुछ
Public Lokpal
September 10, 2022
क्या है पितृ पक्ष? जानें सब कुछ
15 दिवसीय हिंदू अनुष्ठान पितृ पक्ष भाद्रपद के महीने में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है। इसे श्राद्ध के रूप में भी जाना जाता है और यह अश्विन महीने में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समाप्त होता है। इस वर्ष यह 10 सितंबर से शुरू हो रहा है। नवरात्रि से पहले 15 दिनों की अवधि को श्राद्ध के रूप में जाना जाता है। उस अवधि में हिंदू अपने पूर्वजों को 'तर्पण' के रूप में भोजन प्रसाद भेजते हैं। इसके अलावा यह माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान मृतकों का सम्मान करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार पितृ पक्ष 'गणेश उत्सव' के बाद के पखवाड़े में मनाया जाता है और भाद्रपद (सितंबर) के हिंदू चंद्र महीने के दूसरे 'पक्ष' (पखवाड़े) में समाप्त होता है। इस साल, 'पितृ पक्ष' 10 सितंबर से शुरू होगा और 25 सितंबर जब नौ दिवसीय नवरात्रि उत्सव शुरू होगा, तक चलेगा।
इस दिन सूर्योदय के समय पितरों को तिल, चावल और अन्य खाद्य सामग्री का भोग लगाया जाता है। इसके बाद 'पूजा', 'हवन' और 'दान' किया जाता है। इस दौरान न तो कोई उत्सव मनाया जाता है न ही कुछ नया ख़रीदा जा सकता है।
पितृ पक्ष 2022: इतिहास और महत्व
'महालय' का तात्पर्य 'पितृ पक्ष' और 'मातृ पक्ष' के बीच संक्रमण से है। इतिहास किंवदंती यह है कि जब महाभारत के नायक, कर्ण का निधन हो गया और वह स्वर्ग पहुंचे तो वह इस बात से हैरान रह गए कि वह जिस भी खाद्य पदार्थ को हाथ लगाते वह सोने में परिवर्तित हो जाता। कर्ण और सूर्यदेव ने जब इंद्रदेव से इसका रहस्य पूछा तो उन्होंने समझाया कि चूँकि कर्ण ने अपने पूर्वजों को 'पितृ पक्ष' में सोना दान दिया था, उन्होंने उन्हें कभी भोजन नहीं दिया था, जिसकी वजह से पितरों ने उन्हें शाप दे दिया। अपनी अज्ञानता को स्वीकारते हुए कर्ण ने इंद्रदेव से अपने पूर्वजों का 'श्राद्ध' करने और उनके सम्मान में भोजन और पानी अर्पित करने के लिए 15 दिनों के लिए पृथ्वी पर भेजने की विनती की। पृथ्वी पर वापस आकर कर्ण ने अपने वचन के अनुसार पूरे 15 दिनों तक अपने पितरों को जल व भोजन अर्पण किये तब से 15 दिनों की अवधि उस समय 'पितृ पक्ष' के रूप में जाना जाने लगा।
पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की तीन पीढ़ियों की पूजा की जाती है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, मृत्यु के देवता यम द्वारा शासित स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का स्थान 'पितृलोक' पिछली तीन पीढ़ियों की आत्माओं का घर है। इन तीन पीढ़ियों से पहले की पीढ़ियां स्वर्ग में रहती हैं और इस वजह से उन्हें तर्पण नहीं दिया जाता है।