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सरकार की रिपोर्ट में देश के करीब 7 फीसदी बच्चों के कुपोषित होने का दावा

Public Lokpal
April 06, 2022

सरकार की रिपोर्ट में देश के करीब 7 फीसदी बच्चों के कुपोषित होने का दावा


नयी दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्य सभा को बताया कि सरकार की पोशन ट्रैकर पद्धति के मुताबिक, देश में करीब सात फीसदी बच्चे कुपोषित हैं, जिनमें गंभीर रूप से कुपोषित श्रेणी के करीब दो फीसदी बच्चे शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि यह संख्या राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों में बताए गए आंकड़ों से काफी कम है, जिसमें कहा गया है कि देश में लगभग 19 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं।

उन्होंने कहा, "हमने यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन नंबरों को मान्य किया गया है, हम एक तीसरे पक्ष, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के पास भी गए''।

उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुसार बच्चों को मापने सहित आंगनबाड़ियों के प्रदर्शन को डिजिटल रूप से ट्रैक करने की पोषण ट्रैकर पद्धति के तहत, फरवरी महीने के लिए, गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या 2 प्रतिशत के करीब है जो एनएफएचएस डेटा में उल्लिखित संख्या की तुलना में बहुत कम है। ।

उन्होंने कहा कि पोषण ट्रैकर पद्धति के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार एक करोड़ बच्चों का वजन किया गया।

स्मृति ईरानी ने कहा "केवल 2 प्रतिशत बच्चे एसएएम (गंभीर रूप से तीव्र कुपोषित) हैं। मैं यह जोड़ना चाहूंगी कि एमएएम (मध्यम तीव्र कुपोषण) बच्चे 5 प्रतिशत तक आ गए हैं।

उन्होंने सदन को बताया कि "इसलिए, यदि आप कुल मिलाकर देखें तो एसएएम और एमएएम के बीच कुपोषित श्रेणी में बच्चों की संख्या अब 7 प्रतिशत है। महोदय, यदि आप पिछले एनएफएचएस डेटा को देखते हैं, तो ऐसे बच्चों का प्रतिशत 19 प्रतिशत है"।

एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, ईरानी ने यह भी कहा कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल के नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के अनुसार, देश में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 2017 में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 33 से  2019 राष्ट्रीय स्तर पर घटकर 30 हो गई है। इसी अवधि के दौरान पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 37 से घटकर 35 हो गई है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर मातृ मृत्यु दर 2015-17 में 122 प्रति लाख जीवित जन्म से घटकर 2017-18 में 103 हो गई है।

उन्होंने कहा कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल की एसआरएस रिपोर्ट (2015-17) के अनुसार, भारत में बाल मृत्यु दर (0-4 वर्ष) के प्रमुख कारण हैं - समय से पहले जन्म और जन्म के समय कम वजन (31.2%), निमोनिया (16.2%) , अन्य गैर-संचारी रोग (9.8%), जन्म श्वासावरोध और जन्म आघात (8.7%), अतिसार रोग (6.4%), और चोटें (5.6%)।

उन्होंने कहा कि जन्मजात असामान्यताएं (5.0%), अज्ञात मूल का बुखार (4.4%), तीव्र जीवाणु सेप्सिस और गंभीर संक्रमण (4.1%), अपरिभाषित या अज्ञात कारण (4.7%) अन्य प्रमुख कारणों में से हैं।

उन्होंने कहा "भारत के रजिस्ट्रार जनरल की एसआरएस रिपोर्ट (2015-17) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में शिशु मृत्यु दर के प्रमुख कारण हैं - समय से पहले जन्म और कम वजन (37%), निमोनिया (15.5%), जन्म से सही साँस लेने में भयंकर तकलीफ और जन्म आघात (10.4) %), अन्य गैर-संचारी रोग (9.1%), जन्मजात विसंगतियाँ (4.9%), अतिसार संबंधी रोग (4.9%), एक्यूट बैक्टीरियल सेप्सिस और गंभीर संक्रमण (4.7%), अज्ञात मूल का बुखार (3.1%), चोट (2.9%) %), गलत परिभाषित या अज्ञात कारण (5%), और मृत्यु के अन्य सभी कारण (2.5%)।

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